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शतरंज में बादशाह – भारत

  • लेखक की तस्वीर: A1 Raj
    A1 Raj
  • 18 अग॰
  • 2 मिनट पठन

शतरंज में बादशाह – भारत



हाल ही में भारत ने अपना 89वां ग्रैंडमास्टर हासिल किया है। यह केवल एक संख्या नहीं, बल्कि इस बात का सशक्त प्रमाण है कि शतरंज की दुनिया में भारत नई ऊँचाइयों को छू रहा है।


आज भारत को सही मायनों में “शतरंज का बादशाह” कहा जा सकता है। यदि यही गति और समर्पण जारी रहा, तो वह दिन दूर नहीं जब पूरा विश्व भारत को शतरंज का विश्वगुरु मानेगा।


*भारत की प्रमुख उपलब्धियां:*


दुनिया में सबसे ज्यादा रजिस्टर्ड शतरंज खिलाड़ी (1,34,560) भारत से हैं। यह संख्या भारत को विश्व में नंबर 1 बनाती है।


रूस (1,20,128 खिलाड़ी) दूसरे स्थान पर है।


पिछले 7 वर्षों में 39 नए ग्रैंडमास्टर भारत को मिले।


सिर्फ 3 सालों में भारतीय खिलाड़ियों ने अनेक अंतरराष्ट्रीय खिताब अपने नाम किए।


भारत के युवा – महज 18–19 साल की उम्र में विश्वविजेता बनकर दुनिया को चौंका रहे हैं।


भारत के 89 ग्रैंडमास्टर्स अब चीन (48) से लगभग दोगुने हो चुके हैं।

123 अंतर्राष्ट्रीय मास्टर (आईएम), 23 महिला ग्रैंडमास्टर (डब्ल्यूजीएम) हैं, जिनमें कुछ उच्च आईएम खिताब भी रखती हैं; और 42 महिला अंतर्राष्ट्रीय मास्टर (डब्ल्यूआईएम) हैं ।


लेख जिनेश कुमार जैन
लेख जिनेश कुमार जैन

(अभिभावक एवं राजकीय सम्मानित सामाजिक कार्यकर्ता)

राजस्थान की चमक – नन्हे शातिरों का कमाल


भारत की तरह ही राजस्थान भी शतरंज में बड़ी तेज़ी से आगे बढ़ रहा है। हमारे नन्हे खिलाड़ी लगातार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर झंडे गाड़ रहे हैं।


चाहे यश बरडिया, होनी अरोड़ा, सिद्धांत चतुर्वेदी, आशी उपाध्याय, दर्शिता कुमावत , श्रेयांशी जैन और भी बहुत से खिलाड़ियों ने अपने शानदार प्रदर्शन से यह साबित कर दिया है कि राजस्थान की धरती सिर्फ रणभूमि में ही नहीं बल्कि बिसात पर भी शूरवीरों की धरती है।




सरकार और समाज से अपेक्षा


भारत ही नहीं बल्कि राजस्थान भी शतरंज के क्षेत्र में विश्व शक्ति बने, इसके लिए ज़रूरी है कि

जिस प्रकार से दूसरे खेलों को सुविधाएं दी जाती हैं, वैसी ही सुविधाएं शतरंज के खिलाड़ियों को भी मिले।


शतरंज को सभी सरकारी और निजी स्कूलों में अनिवार्य किया जाए।


स्पोर्ट्स टीचर्स को विशेष शतरंज प्रशिक्षण दिया जाए।


खिलाड़ियों, टूर्नामेंट्स और कोचेज़ के लिए अलग से सरकारी फंडिंग एवं वेलफेयर स्कीम्स बनाई जाएं।



शतरंज भारत की धरोहर है, यह खेल हमारी ही भूमि पर जन्मा है। यदि सरकार और समाज मिलकर इसे बढ़ावा दें तो वह दिन दूर नहीं जब भारत और राजस्थान दोनों को दुनिया शतरंज का वास्तविक विश्वगुरु कहेगी।


जहाँ जन्मा शतरंज – वहीं होगा इसका सर्वोच्च सिंहासन


लेख जिनेश कुमार जैन

(अभिभावक एवं राजकीय सम्मानित सामाजिक कार्यकर्ता)

 
 
 

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