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वीर दुर्गा दास जयंती पर पुष्पांजलि सभा का आयोजन जयपुर में सांस्कृतिक एकता का प्रतीक

  • लेखक की तस्वीर: A1 Raj
    A1 Raj
  • 14 अग॰
  • 3 मिनट पठन

वीर दुर्गा दास राठौड़ की 387वीं जयंती पर वीर दुर्गा दास राठौड़ सर्किल  में आयोजित पुष्पांजलि सभा ने उनकी वीरता को याद करने के साथ ही समाज में एकता और सांस्कृतिक समर्पण का महत्वपूर्ण संदेश दिया। यह सभा 13 अगस्त 2025 को सांय 6.00 बजे पवनपुरी सर्किल, बैनाड़ रोड, झोटवाड़ा में आयोजित की गई।

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नानक राम थावानी ने बताया युवा नेता जगदेव सिंह की पहल पर इस सर्किल का नाम वीर दुर्गा दास राठौड़ सर्किल रखा गया। यह नामकरण वीर दुर्गा दास की शौर्य गाथाओं को सम्मानित करने के लिए किया गया है, जो राजस्थान की वीर भूमि की पहचान हैं। इस सर्किल को नया नाम देने से क्षेत्र के लोगों में गर्व का अनुभव हुआ।


वीर दुर्गा दास राठौड़ का योगदान


वीर दुर्गा दास राठौड़ का नाम भारतीय इतिहास में अमिट है। उन्होंने कई बार अपने देश और धर्म की रक्षा के लिए साहसिकता दिखाई। उनकी वीरता के किस्से आज भी जन-जन में गूंजते हैं। उदाहरण के लिए, जब उन्होंने 17वीं शदी में मुगलों के खिलाफ संघर्ष किया, तो उन्होंने अपने साथियों के साथ मिलकर एक संगठित लड़ाई लड़ी थी, जिससे उनकी रणनीति और नेतृत्व क्षमताओं की सराहना की गई।

इस सभा में उपस्थित गणमान्य व्यक्तियों ने वीर दुर्गा दास के प्रति अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की। मानसिंह शेखावत ने बताया कि इस अवसर पर समाजसेवी पूर्व पार्षद व मंडल अध्यक्ष भंवर सिंह राठौड़, हरि सिंह राठौड़, विद्याधर नगर संयोजक राजेंद्र कारोढ़िया, पार्षद रणवीर सिंह राजावत , जगदेव सिंह राठौड़ ,चंदन सिंह तंवर,विजेंद्र सिंह तारपुरा , भवानी सिंह किरडोली , विनोद सिंह राठौड़, भूपेंद्र सिंह मौजास , मातृशक्ति बीरमा बाईसा,सुरेन्द्र सिंह शेखावत , सुरेन्द्र सिंह राजावत , विकास मीणा , धर्म सिंह निमेडा , श्याम सिंह भारीजा, रवि बना दम्बोई , अभय सिंह डेगाना , सहित गणमान्य व्यक्तियो सहित सम्माननीय सनातनी बंधुओं ने श्रद्धा भाव से पुष्पांजलि अर्पित की ।


पुष्पांजलि सभा का आयोजन


पुष्पांजलि सभा में उपस्थित सभी लोगों ने 'वीर दुर्गा दास अमर रहे', 'जयकारा वीर बजरंगी हर हर महादेव', और 'भारत माता की जय' जैसे जोशीले नारे लगाए। ये नारे वीरता और एकता के प्रतीक थे। सभा में करीब 100 लोग शामिल हुए, जिन्होंने अपने दिल से वीर दुर्गा दास की गाथाओं को याद किया और उनके प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त की।

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यह कार्यक्रम एक ऐसा मंच बना जहां सभी ने मिलकर अपने नायक को सम्मानित करने के लिए एक जुट होकर आवाज उठाई।


सांस्कृतिक एकता का प्रतीक


इस प्रकार की सभा न केवल वीरता को याद करने का अवसर है, बल्कि सांस्कृतिक एकता का भी प्रतीक है। जब लोग एक साथ मिलकर अपने नायकों को सम्मानित करते हैं, तो ये समाज में एकता और भाईचारे को बढ़ावा देते हैं।

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जयपुर में आयोजित इस पुष्पांजलि सभा ने दिखाया कि हम सभी एक धागे में बंधे हुए हैं, जो हमारी संस्कृति और परंपराओं को जोड़ता है। एकता की इस भावना का उदाहरण देखने के लिए, सभा में शामिल सभी लोगों ने एकसाथ रस्म अदायगी की और वीर दुर्गा दास की गाथाओं को साझा किया।


युवा पीढ़ी की भूमिका


युवा नेता जगदेव सिंह राठौड़ की पहल ने इस सभा को और भी महत्वपूर्ण बना दिया। युवा पीढ़ी की सक्रिय भागीदारी जरूरी है, ताकि वे अपने इतिहास और संस्कृति को समझ सकें।

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युवाओं को अपने नायकों की गाथाओं के बारे में जानने का अवसर मिलना चाहिए। उदाहरण के लिए, उन्होंने वीर दुर्गा दास की कहानियों को विद्यालयों में प्रस्तुत करने की योजना बनाई है। इससे बच्चे अपनी जड़ों से जुड़ सकेंगे और आने वाली पीढ़ियों के लिए इसे साझा कर सकेंगे।


सारांश


वीर दुर्गा दास जयंती पर आयोजित पुष्पांजलि सभा ने वीरता को याद करने के साथ ही समाज में एकता और सांस्कृतिक समर्पण का संदेश दिया। यह सभा एक ऐसा अवसर थी जहां सभी ने मिलकर अपने नायक को सम्मानित किया और अपने देश के प्रति अपनी भक्ति को व्यक्त किया।

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इस तरह के आयोजनों से यह सीखने को मिलता है कि हमारी संस्कृति और परंपराएं हमें एकजुट करती हैं। हमें अपने नायकों की गाथाओं को याद रखना चाहिए और इन्हें आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाना चाहिए।


Wide angle view of a gathering at a cultural event
Gathering at the Pushpanjali Sabha

 
 
 

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