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राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान जयपुर में सचित्र पाण्डुलिपि एवं योग प्रदर्शनी का भव्य आयोजन

  • लेखक की तस्वीर: A1 Raj
    A1 Raj
  • 19 जून
  • 2 मिनट पठन

राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान जयपुर में सचित्र पाण्डुलिपि एवं योग प्रदर्शनी का भव्य आयोजन


माननीय प्रधानमंत्री, संस्कृति मंत्री, राष्ट्रीय पाण्डुलिपि मिशन निदेशक एवं शोध संस्थान समन्वयक की प्रेरणा से सम्पन्न हुआ आयोजन


जयपुर, 19 जून 2025 — भारत की प्राचीन पाण्डुलिपि परंपरा और योग विज्ञान की गरिमा को उजागर करते हुए, राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान, जयपुर एवं विश्व गुरुदीप आश्रम शोध संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में ICA गैलरी में एक विशिष्ट सचित्र पाण्डुलिपि एवं योग प्रदर्शनी का भव्य आयोजन हुआ।

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यह आयोजन माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी, संस्कृति मंत्री श्री गजेंद्र सिंह शेखावत, राष्ट्रीय पाण्डुलिपि मिशन के निदेशक डॉ. अनिर्वाण दास, तथा वैदिक हैरिटेज एवं पाण्डुलिपि शोध संस्थान के समन्वयक डॉ. सुरेंद्र कुमार शर्मा की प्रेरणा एवं मार्गदर्शन में संभव हो पाया।

शुभारंभ एवं प्रमुख अतिथि:

समारोह का उद्घाटन राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान के कुलाधिपति डॉ. संजीव शर्मा ने दीप प्रज्वलन कर किया। इस अवसर पर प्रो. असित कुमार पांजा, आयुर्वेद शोध में प्रतिष्ठित विद्वान, विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे।


डॉ. संजीव शर्मा ने अपने उद्बोधन में चित्र-युक्त प्राचीन पाण्डुलिपियों की प्रशंसा करते हुए उन्हें “देश की अमूल्य धरोहर” बताया। उन्होंने इनके संरक्षण को अत्यंत आवश्यक बताते हुए संस्थान की ओर से हर संभव सहयोग का आश्वासन दिया।

प्रो. असित पांजा ने योग ग्रंथों एवं आयुर्वेदिक पाण्डुलिपियों के पुनर्पाठ एवं पुनर्संरचना की इस पहल को ज्ञान-जगत के लिए अत्यंत लाभकारी बताया।

प्रदर्शनी की मुख्य विशेषताएँ:

प्राचीन योग ग्रंथों में चित्रित मुद्रांक व तांत्रिक संकेतों की झलक।

जीरा जैसे औषधीय पौधों से संबंधित सचित्र औषधीय पाण्डुलिपियाँ।

मुद्रण‑पूर्व स्थिति की दुर्लभ झलकियाँ, लेखनशैली और कागज की विशिष्टता।

प्रत्येक पाण्डुलिपि के साथ व्याख्यात्मक टिप्पणियाँ, जो दर्शकों के लिए शैक्षणिक दृष्टिकोण से उपयोगी रहीं।

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भविष्य की दिशा:

क्षेत्र प्रस्तावित योजना

डिजिटलीकरण संरक्षण हेतु स्कैनिंग, डिजिटल ग्रंथालय व ऑनलाइन पोर्टल निर्माण

शोध सहयोग विभिन्न संस्थानों के साथ पाण्डुलिपि आधारित संयुक्त अनुसंधान व प्रकाशन

जनभागीदारी कार्यशालाएँ, वेबिनार व शैक्षिक कार्यक्रमों के माध्यम से जागरूकता

यह प्रदर्शनी भारत की ज्ञान परंपरा, विशेषकर आयुर्वेद एवं योग, की गहराई को पुनः जनमानस के समक्ष लाने की दिशा में एक सशक्त कदम रही। प्रदर्शनी के माध्यम से आगामी शोध योजनाओं का रोडमैप तैयार किया गया है, जो भारत की पाण्डुलिपि निधि को विश्व मंच पर पुनः प्रतिष्ठित करने की दिशा में अग्रसर है।


 
 
 

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