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राजस्थान में जलरंग के जादूगर और बकरीवाला के नाम से प्रसिद्ध चित्रकार

  • लेखक की तस्वीर: A1 Raj
    A1 Raj
  • 8 फ़र॰ 2023
  • 2 मिनट पठन

अपडेट करने की तारीख: 10 फ़र॰ 2023


परिंदों को मंजिल मिलेगी यकीनन यह फैले उनके पंख बोलते हैं वह लोग खामोश रहते हैं अक्सर जमाने में जिनके हुनर सर चढ़कर बोलते हैं


यह कहावत किशनगढ़ के चित्रकार महेश कुमार कुमावत पर बिलकुल सटीक बैठती है


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महेश कुमावत कला और कलाकारों की धरती किशनगढ़ के चित्रकार हैं आपके कलाकार परिवार से सम्बन्ध रखते हैं इन्होंने अपनी कला की आरंभिक शिक्षा अपने पिता बृज मोहन कुमावत और चाचा पवन कुमार कुमावत से ली


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सत्र 2002 में 10वे कला मेले में पहली बार इन्होंने जयपुर आए तो कला से पहली बार साक्षात्कार हुआ उसके बाद इनके बाल मन पर प्रभाव पड़ा और कला के क्षेत्र में आगे बढ़ने की सोच कर कला के उच्च अध्ययन राजस्थान विश्वविद्यालय जयपुर आए

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और 2004 में राजस्थान ललित कला अकादमी द्वारा जलरंग चित्र गोधूली पर राज्य स्तर pper पुरस्कृत हुए आगे आपने 2007 में राष्ट्रीय कालीदास अकादमी उज्जैन राष्ट्रीय कालीदास सम्मान मिला 2022 में ललित कला अकादमी द्वारा राजीव गांधी के जन्म शताब्दी पर 5 श्रेष्ठ चित्रकारों में आपके चित्र का चयन हुआ



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इस समय से इन्होंने वर्तमान में जलरंग में किशनगढ़ और आस पास की हवेलियों और विरासत को संजोने का कार्य कर रहे है





जलरंग में उन्होंने बकरी के विभिन्न आयामों को चित्रित करने के कारण राजस्थान में बकरीवाला के नाम से पूरे कला मेले में छाए रहे

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साथ इन्होंने वाश में किशनगढ़ मिनिएचर में महाकवि कालीदास के काव्य पर वात्सलय और मंत्रणा चित्र कला मेले का आकर्षण थे


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चित्रकार महेश कुमावत ने वर्तमान में कलानेरी कला संस्थान. इंटरनेशनल कॉलेज पोद्दार इंटरनेशनल कॉलेज राजस्थान विश्वविद्यालय उदयपुर मैं इसी महीने अनोखे के माध्यम से विभिन्न छात्रों को भी इस माध्यम का ज्ञान करवाया


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इन्होंने राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय स्तर पर राजस्थान का नाम रोशन किया है आप वर्तमान में राजस्थान सरकार ने स्कूल व्याख्याता के पद पर कार्यरत हैं साथ में इनका चयन राजस्थान सर्विस पब्लिक कमिशन द्वारा सहायक आचार्य चित्रकला में भी चयन हो चुका है छात्रों को उनके स्तर पर जाकर कला के अध्यापन करवा रहे है


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