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तीन पीढ़ियों का समर्पण, एक ही लक्ष्य – शतरंज के ज़रिए राष्ट्र निर्माण

  • लेखक की तस्वीर: A1 Raj
    A1 Raj
  • 18 जुल॰
  • 2 मिनट पठन

तीन पीढ़ियों का समर्पण, एक ही लक्ष्य – शतरंज के ज़रिए राष्ट्र निर्माण


राजकीय सम्मान से सम्मानित जिनेश कुमार जैन व उनका परिवार बना प्रेरणा स्रोत


विश्व शतरंज दिवस के अवसर पर जब दुनिया भर में इस बौद्धिक खेल का सम्मान किया जा रहा है, जयपुर से एक ऐसा परिवार सामने आया है जो न सिर्फ इस खेल के प्रचार-प्रसार में वर्षों से जुटा है, बल्कि बच्चों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेलने के लिए प्रेरित कर रहा है। यह परिवार है – राजकीय सम्मान से सम्मानित सामाजिक कार्यकर्ता जिनेश कुमार जैन का।

जिन्हें हाल ही में 26 जनवरी 2025 को उनकी ईमानदारी, कर्तव्य निष्ठा व सामाजिक समर्पण के लिए राजकीय सम्मान से नवाज़ा गया। लेकिन उनकी सबसे बड़ी पहचान है – शतरंज के प्रति उनका अथाह प्रेम और सेवाभाव।

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एक पूरा परिवार, एक ही ध्येय

जिनेश कुमार जैन का परिवार – भागचंद-संतोष जैन, ऋतु जैन और वाणी जैन – तीनों पीढ़ियाँ तन-मन-धन से शतरंज के लिए समर्पित हैं।

वे ना केवल शतरंज टूर्नामेंट्स का आयोजन करते हैं,

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बल्कि निःशुल्क कोचिंग और सीनियर कोचों द्वारा विशेष प्रशिक्षण शिविर भी आयोजित कराते हैं।


हाल ही में संपन्न 10 दिवसीय निःशुल्क शतरंज प्रशिक्षण शिविर इसका सशक्त उदाहरण है, जहाँ बच्चों ने इंटरनेशनल स्तर के कोचों से प्रशिक्षण प्राप्त किया।


लक्ष्य – भारत के लिए विश्व विजेता बनाना

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इस परिवार की सोच केवल आयोजन तक सीमित नहीं है।

इनका सपना है – "हर बच्चा खेले, सोचे, बढ़े और भारत का नाम रोशन करे।".


जिनेश कुमार जैन और उनका परिवार बच्चों में आत्मविश्वास जगाने, उन्हें खेल के ज़रिए अनुशासन और रणनीति सिखाने, तथा भविष्य के लिए मार्गदर्शन देने में सतत सक्रिय है।

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प्रेरणा बनता जा रहा है यह परिवार

जयपुर ही नहीं, राजस्थान और देशभर में जिन बच्चों ने इस परिवार से प्रेरणा और प्रशिक्षण लिया है, वे आज राज्य व राष्ट्रीय स्तर पर खेल रहे हैं।


विश्व शतरंज दिवस पर यह परिवार एक जीवंत उदाहरण है कि कैसे एक खेल, जब सेवा और समर्पण से जुड़ता है, तो वह समाज निर्माण का माध्यम बन जाता है।

 
 
 

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