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गोपालपुरा बायपास त्रिवेणी पुलिया के पास स्थित विश्वेश्वरैया नगर के निवासीयो ने कैलाशी नन्द किशोर शर्मा का अभिनंदन समारोह आयोजित

  • लेखक की तस्वीर: A1 Raj
    A1 Raj
  • 29 जुल॰
  • 4 मिनट पठन

गोपालपुरा बायपास त्रिवेणी पुलिया के पास स्थित विश्वेश्वरैया नगर के निवासीयो ने कैलाशी नन्द किशोर शर्मा का अभिनंदन समारोह आयोजित

(*भोले की फौज करेगी मौज*)


जयपुुर 28 जुलाई 2025 गोपालपुरा बायपास जयपुुर त्रिवेणी पुलिया के पास स्थित विश्‍वेश्‍वरैया नगर निवासी, कैलाशी, श्री नंदकिशोर शर्मा को उनकी कैलाश पर्वत एवं मानसरोवर यात्रा जब्बा,जोश और उत्साह के साथ सफलतापूर्वक पूर्ण करने पर कॉलोनी के वरिष्ठ वीरेंद्र भार्गव ,सी ए सुरेश गुप्ता,एडवोकेट रतन अग्रवाल , श्री कृष्ण शर्मा, विजय कुमार शर्मा, एडवोकेेट प्रेमचंद अग्रवाल, राजेंद्र अग्रवाल, नरेश जैन आदि उपस्थित गणमान्य महानुभावों द्वारा श्री शर्मा के यात्रा अनुभवों से मुखातिब होकर सम्मानित किया गया।

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कैलाशी शर्मा ने बताया कि धरती का स्वर्ग कहलाने वाले पवित्र कैलाश पर्वत और मानसरोवर झील की साहसिक यात्रा,बाबा की कृपा से सम्भव हो पाया है


नंदकिशोर शर्मा जो इस कॉलोनी के निवासी भी हैं, कॉलोनी के वरिष्ठ वीरेंद्र भार्गव ने साफा पहनाकर व शाल उड़ाकर सम्मानित किया सभी सदस्यों ने माला पहनाकर स्वागत किया।

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कैलाशी नन्द किशोर शर्मा ने हर हर महादेव, जय कारा वीर बजरंगी हर हर महादेव के जय घोष के साथ बाबा भोलेनाथ को नमन करते हुए पवित्र कैलाश पर्वत की परिक्रमा के 22 दिनों का अनुभव सभी के साथ शेयर करते हुए आगे आने वाली कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए बाबा की कृपा के साथ-साथ, विदेश मंत्रालय द्वारा लॉटरी में चयन, दिल्ली हार्ट और लंग्स हॉस्पिटल, भारतीय तिब्बत सीमा पुलिस, और शेराखान में मेडिकल और दृढ़ विश्वास के साथ आगे बढ़ने हेतु प्रेरित किया।


कैलाश मानसरोवर यात्रा एक कठिन साहसिक यात्रा होने के साथ-साथ एक समृद्ध आध्यात्मिक अनुभव भी है

6,638 मीटर ऊँचा माउंट कैलाश शिखरएवं

*कैलाश मानसरोवरकी यात्रा होती है


**विश्वास पर्वतों को हिला सकता है**, ऐसा कहते हैं। पिछले सप्ताह तिब्बत में, कैलाश पर्वत का रहस्य और आकर्षण हमें खींच रहा था, जब हम दुर्गम तिब्बती इलाके से गुजर रहे थे। हमने कुछ रास्ता पैैदल और दिए गए टट्टुओं और उनके खुशमिजाज मार्गदर्शकों की मदद से तय किया, 19000 फीट ऊंचे डोलमा ला दर्रे को पार किया ऑक्सीजन की मात्रा बहुत कम थी, फिर कैलाश पर्वत के चारों ओर 3 दिन की कठिन 38किमी की परिक्रमा पूरी की — जो हिंदू धर्म की सबसे पवित्र तीर्थयात्राओं में से एक है।

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यह 12 दिन की यात्रा का सबसे कठिन भाग था।


कैलाश पर्वत अलग-अलग लोगों और धर्मों के लिए अलग महत्व रखता है। 6,638 मीटर (21,778 फीट) ऊँचा यह पर्वत तिब्बती पठार के दूरदराज़ क्षेत्रों में स्थित है और इसे दुनिया के कई धर्मों द्वारा आध्यात्मिक धरोहर माना गया है।


* **हिंदू धर्म में**, यह भगवान शिव — तपस्वी, विनाशक और परम योगी — का निवास स्थान है, जो शिखर पर शाश्वत ध्यान में लीन रहते हैं।

* **जैन धर्म में**, इसे *अष्टापद* कहा जाता है, जहाँ पहले तीर्थंकर ऋषभदेव ने मोक्ष प्राप्त किया था।

* **बौद्ध धर्म में**, इसे *दमचोक (चक्रसंवारा)* का निवास स्थान माना गया है, जो बुद्ध का एक रौद्र रूप है।

* **बोन धर्म** — जो तिब्बत का मूल धर्म है — इसे संस्थापक टॉनपा शेनरब मिवोचे की आत्मिक गुफा मानता है।


कैलाश पर्वत की परिक्रमा को कभी किसी ने फतह नहीं किया — और यह एक आध्यात्मिक उपलब्धि मानी जाती है।


तिब्बती इसे *मेरु पर्वत* मानते हैं, जो ब्रह्मांड के केंद्र में स्थित पौराणिक पर्वत है। कुछ इसे *ऐक्सिस मुंडी* कहते हैं — वह धुरी जहाँ आकाश और पृथ्वी मिलते हैं।


हमारे निर्णय पर कोई प्रभाव नहीं था जब मई 2025 मेंने विदेश मंत्रालय की लॉटरी में भाग लिया। प्रधानमंत्री माननीय मोदी जी की पहल पर भारत और चीन ने छह वर्षों बाद फिर से यात्रा शुरू की थी — एक नया मौका था।


लेकिन हमारे लिए यह निर्णय ज्यादा व्यक्तिगत था। जून मुझे अपनी शारीरिक फिटनेस फिर से हासिल करनी थी। हमने छोटे ट्रेक्स से शुरुआत की और महसूस किया कि यह अंतिम परीक्षा होगी — शारीरिक, मानसिक और आत्मिक।




**कैलाश पर्वत की परिक्रमा**, पारंपरिक रूप से 38 किलोमीटर की होती है, जो **तीन दिनों में पूरी की जाती है।**

यह माना जाता है कि इससे **जीवन भर के पापों का शुद्धिकरण होता है।**

**डोलमा ला दर्रे का पार करना** — जो 19000 फीट ऊँचा है —

**इस तीर्थयात्रा का सबसे चुनौतीपूर्ण और प्रतीकात्मक हिस्सा है,**

**जो मृत्यु और पुनर्जन्म का प्रतिनिधित्व करता है।**




* बुलावा (आमंत्रण) ईश्वर से आता है — और मेरे लिए यह मई 2025 में आया। नाथूला कीओर से 3 जत्थे मे मेरा जयपुर से एक मात्र यात्री के रूप मे चयन हुआ।

* मेरे लिए यह अवसर खास था।

* इस यात्रा के लिए अलग-अलग पृष्ठभूमि और आयु वर्ग के लोग चुने गए।

* तैयारी कठिन थी — ऊँचाई पर दवाइयाँ, हल्के जैकेट, मजबूत जूते, टोपी, दस्ताने, धूप से बचाव के लिए गॉगल्स और उच्च-क्वालिटी सनस्क्रीन अनिवार्य थे।

* हर दिन की शुरुआत और समाप्ति सख्त नियमों और थकाऊ ट्रेकिंग से होती थी, लेकिन आध्यात्मिक

साहसिक यात्रा होने के साथ-साथ एक समृद्ध


कैलाश मानसरोवर यात्रा कैलाश मानसरोवर भवन गाजियाबाद से शुरू होकर वापस कैलाश मानसरोवर भवन गाजियाबाद में ही समाप्त होती है


इस यात्रा में उत्तर प्रदेश टूरिज्म डिपार्टमेंट, सिक्किम टूरिज्म डिपार्टमेंट ओर भारतीय तिब्बत सीमा पुलिस के द्वारा भारत वर्ष के अलग-अलग राज्यों से आए यात्रियों के लिए रहने खाने पीने के साथ-साथ हर प्रकार की लग्जरी सुविधाएं प्रदान की गई।

 
 
 

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