top of page
खोज करे

त्राता

  • लेखक की तस्वीर: A1 Raj
    A1 Raj
  • 7 फ़र॰ 2023
  • 1 मिनट पठन

इन्सान की मजबूरी और बेचारे बैलो की नियति है कि उन्हें बोझा ढोना ही पडेगा, मगर कई बार उन पर क्रूरता होते हुए भी देखी जा सकती है और हम भारी मन से आगे निकल जाते हैं, सिर्फ प्रार्थना ही तो कर सकते है!काम में नहीं आते तो छोड दिया जाता है यूँ ही, चाहे जीए या मरे, कसाई को भी बेच दिया जाता है!

ree

कुछ दिन पहले मैंने एक दिलचस्प विडियों देखा सोशल मीडिया पर, जिसमें एक विद्यार्थी ने इन बैंलो के कंधों के बोझ को एक पहिया उनके बीच लगाकर बाँटा है! मुझे ये बहुत सराहनीय प्रयास लगा! इसलिए मैनें ये आर्टवर्क बनाकर हर मूक और बोझा ढोने को मजबूर पशु के लिए लिए ह्रदय से कामना की है कि काश हर पशुपालन कुछ ऐसा कर सके और उनका त्राता बन सकें!काम ज्यादा से ज्यादा करने लगेंगे तो उन्हें किसानो को भी कमाई मिलती रहेगी और बैलो को सम्मान से समाज में फिर से जगह! कैसे तकनीकी रूप से नवीनीकरण बैलगाड़ी का और कहाँ काम पर लगाया जा सकता है मुझे इसके लिए बैलों की तरफ से ये पुकार समाज को देने की असफल कोशिश

ree

कबाड़,पेपरमेशी और पर्यावरण से !कला मेले में रखा है मैनें की कोई कही सुन ले

ऐसा ना हो जाए कही की" कभी बैल हुआ करते थे "

टिप्पणियां


bottom of page