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चित्रकार सुभाष चंद्र की कलाकृतियां धुंधले एवं फीके रंगों में मानव के भावों को कुरेदने की कोशिश हैं

  • लेखक की तस्वीर: A1 Raj
    A1 Raj
  • 8 फ़र॰ 2023
  • 2 मिनट पठन

चित्रकार सुभाष चंद्र की कलाकृतियां धुंधले एवं फीके रंगों में मानव के भावों को कुरेदने की कोशिश हैं सुभाष चंद्र का जन्म 28 अगस्त 1997 में जयपुर के ग्रामीण क्षेत्र के एक छोटे से गांव में किसान परिवार में हुआ।


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उनका जीवन गांव के देहाती पन को देखते हुए आगे बढ़ा। कला में रुचि और रचनात्मकता चित्रकार सुभाष चंद में बचपन से ही थी। कला की शुरुआत विद्यालय में हुई और अच्छी कला शिक्षा के लिए राजस्थान के ख्याति प्राप्त महाविद्यालय राजस्थान स्कूल ऑफ आर्ट से शिक्षा प्राप्त की ।


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उनकी कला में मानवीय भावनाओं से ओतप्रोत चित्र देखने को मिलते हैं जो दर्शकों को गहराई में ले जाते है।


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अनेक कला पुरस्कार से सम्मानित

उनको कहीं पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है जैसे राजस्थान ललित कला अकादमी द्वारा विद्यार्थी पुरस्कार राष्ट्रीय कला पर्व टोंक में प्रथम पुरस्कार, आयोजित कला मेला 2022 में बेस्ट पेंटिंग अवार्ड, दैनिक भास्कर द्वारा प्रोग्राम मिलेगी दोबारा में बेस्ट इंस्टॉलेशन अवार्ड, जयपुर कला महोत्सव में प्रथम पुरुस्कार,और भी कहीं अन्य पुरुस्कारों द्वारा समान्नित किया जा चुका हैं। सुभाष चंद कहीं ग्रुप शो व वर्कशॉप में भागीदारी दे चुके हैं


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सुभाष चंद्र मानव, पशु, पक्षी और प्रकृति में नजरअंदाज गतिविधियों का चित्रण करता है । जिनका सम्बन्ध भावानात्मक जीवन से है। जिनमें हताशा, निराशा, दुःख, पीड़ा, और बेचैनी में जीवन जी उम्मीद लिऐ हुए का तीखा चित्रण देखने को मिलता है।यह हमेशा किसी भी वस्तु की विपरीत परिस्थितियों के बारे में विचार करता है । सुभाष चंद्र जीवन, वस्तु, व्यवस्था, आदि की अस्त व्यस्त और अंत: करण की बात करता है । प्रत्येक कलाकृति में इसके द्वारा उन जीव का समावेश किया है जिनका जीवन सामान्य और नजरअंदाज है।जीवन के पड़ाव का यह दृश्य जहां बेचने मन में नकारात्मकता पैदा होती हैं और सकारात्मकता की ओर बढ़ते की कोशिश में हैं। जो विपरीत हैं,इसने अपने कार्य में टूटी-फूटी, रेखाओं व जर्जर धरातल, फीके रंगों का प्रयोग तथा उनका ऐसी वस्तुओं से भावनात्मक जुड़ाव जिनका वह रोजाना उपयोग लेते हैं। और अपने जीवन को सरल करने के लिए जटिल बना लिए हैं। सुभाष चंद्र हमेशा से ही अपने परिवार और अपने गांव के लोगों को देखता आया है और अभी भी कभी लोगों को देखता है तो सब सरल होने के बजाय जटिल जीवन में फंसे हैं।इसका दृश्य उनके सामान्य जीवन और चेहरों पर लगे मुखोटे के पीछे की गतिविधियो से हैं जिनको महसूस करने के लिए चित्रकार उनके जीवन से जुड़ जाता है ।



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